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Tuesday 20 December 2016
अजनबी की तरह (नज़्म) // आबिद अली मंसूरी!
जब चले थे कभी
हम
अनजान राहों पर..
एक साथ
हमसफ़र बनकर,
कितनी कशिश थी
मुहब्बत की..
उस
पहली मुलाकात में,
image by google!
चलो..! फिर चलें हम
आज
उसी मुकाम पर
जहां मिले थे कभी..
हम
अजनबी की तरह!
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___
आबिद अली मंसूरी!
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